सत्यपुरुष सद्गुरु कबीर साहिब जी के पूर्ण अवतार बन्दीछोड़ गरीबदास साहिब जी की वाणी के प्रचार हेतु लोगो को सतगुरु जी की वाणी के साथ जोडकर उनको इस भवसागर रूपी संसार से पार लगाने के लिए देश विदेशों में हमारी गरीबदासी सम्प्रदाय के संत महापुरुष समय समय पर पहुँच कर सतगुरु जी की वाणी का पाठ, सत्संग
करते है. हाल ही में 16-17-18 जून को वेदान्ताचार्य स्वामी चेतनानंद जी भूरीवाले कनाडा देश में प्रति वर्ष की तरह पहुँच कर संगत पर अपने अमृतमई प्रवचनों की वर्षा की.

तैं नौका नाव डबोई रे, मन खाखी भडुवा धौही रे । मन मार बिहंडम किरसूं रे, सतगुरू साक्षी नहीं डिरसूं रे ।।
अरे चढि़ खेत लरौं मैदाना रे, तुझ मारूंगा शैताना रे । डिढ की ढाल बनाऊं रे, तन तत्त की तेग चलाऊँ रे ।।
काम कटारी ऐंचू रे, धरि बान विहंगम खैंचू रे । बुद्धि बंदूक चलाऊं रे, मैं चित्त की चखमख लाऊं रे ।।
मैं दम की दारू भरता रे, ले प्रेम पियाला जरता रे । मैं गोला ज्ञान चलाऊं रे, मैं चोट निशाने लाऊँ रे ।।
करते है. हाल ही में 16-17-18 जून को वेदान्ताचार्य स्वामी चेतनानंद जी भूरीवाले कनाडा देश में प्रति वर्ष की तरह पहुँच कर संगत पर अपने अमृतमई प्रवचनों की वर्षा की.

|| आचार्य गरीबदास जी की वाणी ||
निर्बंध निरंतर खेलै रे, सतगुरू तुझ आंन सकेलै रे । गुलजार गली नहीं जाता रे , तूं विष के लडडू खाता रे ।।तैं नौका नाव डबोई रे, मन खाखी भडुवा धौही रे । मन मार बिहंडम किरसूं रे, सतगुरू साक्षी नहीं डिरसूं रे ।।
अरे चढि़ खेत लरौं मैदाना रे, तुझ मारूंगा शैताना रे । डिढ की ढाल बनाऊं रे, तन तत्त की तेग चलाऊँ रे ।।
काम कटारी ऐंचू रे, धरि बान विहंगम खैंचू रे । बुद्धि बंदूक चलाऊं रे, मैं चित्त की चखमख लाऊं रे ।।
मैं दम की दारू भरता रे, ले प्रेम पियाला जरता रे । मैं गोला ज्ञान चलाऊं रे, मैं चोट निशाने लाऊँ रे ।।
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