Thursday, November 23, 2017

श्री जलूर धाम में महा समागम

हम सभी के लिए 2017-2018 का साल बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस वर्ष सतगुरु जी का 300 साला अवतार महोत्सव बड़ी ही धूम धाम के साथ मनाया जा रहा है । बंदीछोड़ गरीब दास साहिब जी की स्मृति में यह विश्वस्तरीय समागम जो 5 मई को सतगुरु जी के अवतार स्थान हमारे परम् धाम श्री छुड़ानी धाम में शुरू हुआ था उसका आनंद महोत्सव अब आ पहुँचा है सतगुरु ब्रह्मसागर जी महाराज भुरीवालों में निर्वाण स्थान श्री जलूर धाम में जो कि 21 नवम्बर से 29 नवम्बर तक बड़ी ही धूम धाम के साथ मनाया गया।

श्री ज्ञान गुदड़ी महोत्सव 2017

श्री ज्ञान गुदड़ी महोत्सव बन्दीछोड़ गरीबदास साहिब जी के प्रथम परम शिष्य स्वामी संतोष दास जी की याद में प्रतिवर्ष स्वामी संतोष दास जी के जन्म स्थान श्री छुडानी धाम के समीप गाँव आसोदा में १८-१९-२० नवम्बर को बड़ी ही धूम धाम के साथ मनाया गया.

Tuesday, November 21, 2017

विदेशो में सतगुरु जी की वाणी का प्रचार

बन्दीछोड़ गरीबदास साहिब जी की वाणी के प्रचार हेतु हमारी गरीबदासीय सम्प्रदाय के संत महापुरुष देश विदेशो में जाकर लोगो को सतगुरु जी की पावन पवित्र कल्याणकारी अमृतमयी वाणी से जोड़ रहे है। इस कड़ी में प्रतिवर्ष की भाँति वेदांताचार्य स्वामी चेतनानंद जी भुरीवाले ओमान देश के मस्कट शहर में पहुँच और सतगुरु जी की लाड़ली प्यारी संगत पर अपने अमृतमयी वचनो की वर्षा की।

Friday, November 17, 2017

जम का लोक कैसा है ?

सत्यपुरुष सद्गुरु कबीर साहिब जी के पूर्णावतार बन्दीछोड़ गरीब दास साहिब जी अपनी पावन-पवित्र कल्याणकारी अमृतमयी वाणी में “जम का अंग” के अंतर्गत यमलोक का हाल वर्णन करते है | प्रत्येक प्राणी को अपने किये हुए कर्मो का शुभ-अशुभ फल अवश्य भुगतना पड़ता हैं विधि का ये विधान अटल है इसे कोई टाल नहीं सकता पाप कर्मो का फल यमलोक में जाकर भुगतना पड़ता हैं जो बड़ा ही भयंकर लोक है |

Sunday, November 5, 2017

300 साला अवतार महोत्सव @ भवानीपुर

हम सभी बड़े ही भाग्य वाले है जो हमे हमारे सतगुरु जी का 300वां अवतार दिवस मनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। सतगुुरु जी ने हम सब जीवों पर यह बहुत बड़ी मैहर करी है। जैसा की आप सभी जानते है सतगुरु जी का 300 साला अवतार महोत्सव

Friday, November 3, 2017

सन् 1743 की कार्तिक पूर्णिमा

बंदीछोड़ गरीब दास साहिब जी अपनी पावन पवित्र कल्याणकारी अमृतमयी वाणी में फरमाते है कि:- 
गरीब, अठसठ तीर्थ जाइये, मेले बड़ा मिलाप।
पत्थर पानी पूजते, कोई साधु संत मिल जात।।
सतगुरु जी की यह लीला सन 1743 की कार्तिक मास की पूर्णिमा की है । आज से ठीक 274 वर्ष पूर्व की । एक बार की बात है कि छुड़ानी धाम से बहुत लोग गढ़ मुक्तेश्वर गंगा स्नान के लिए जा रहे थे | तब  बंदीछोड़ गरीब दास साहिब जी की माताश्री रानी जी भी कहने लगी कि “बेटा गरीबा मुझे भी गंगा स्नान के लिए ले चल”|  महाराज जी ने ऐसे ही 2-3 दिन आना-कानी करते हुए निकाल दिये तब माता जी ने फिर कहा कि  “बेटा मुझे