Sunday, July 23, 2023

सतगुरु जी की बाजरे से भरी गाड़ी किसने, कब और क्यों लूटी व उसके उपरांत क्या हुआ ?

 एक समय की बात है कि छुड़ानी धाम के आसपास के गांवों में टीडी दल ने सब फसलों को खा लिया था। जिसके फलस्वरूप अकाल पड़ गया था। बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी का एक भगत तोखराम था। जिसकी फसल बची थी। बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी की अनंत कृपा से उसके खेतों में टीडी दल ने बिल्कुल नहीं खाया और उसके फसल भी बहुत बढ़िया हुई थी। उस समय सतगुरु जी भगत तोखराम के पास ही ठहरे हुए थे। भगत तोखराम ने बार-बार विनती की कि "हे सतगुरु जी, आप थोड़ा अन्न अवश्य अपने साथ ले जाएं"। अतः उसके बहुत आग्रह करने पर महाराज जी अनाज की एक गाड़ी को लेकर श्री छुड़ानी धाम चल दिए। हर जगह अकाल पड़ गया था, लोग भूखे मर रहे थे।
जब सतगुरु जी कानोंद ग्राम के पास से निकलने लगे, तब कानोंदा  के साहब राय ने अपने कुछ ग्रामवालों को कहा कि "अकाल के कारण भूखे क्यों मर रहे हो? यह बाजरे की गाड़ी पास से जा रही है। इसे लूट लो"। यह सुनते ही वह लोग गाड़ी पर टूट पड़े सब,बाजरा लूट ले गए। और साहब राय ने बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी को काठ मार दी। पहले समय मे काठ एक लकड़ी का यंत्र होता था जिसमें किसी का भी पेट फंसा देने पर उस व्यक्ति को बहुत कष्ट होता था। काठ के बंधन में बंधे हुए भी सतगुरु जी आनंद पूर्वक बैठे रहे। जब यह समाचार बाजीदपुर में मिला कि बाजरी लूट ली है और सतगुरु जी को काठ मार दिया है। यह सुनकर वे लोग कानौदा में पहुंचे और साहिब राय से कहा कि तुमने तो यह बहुत बड़ा अनर्थ एवं पाप कर दिया है। इस पाप से छुटकारा होना बड़ा कठिन है। जिस बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी को तुमने बांधा है, वह तो सब प्राणियों के दुखों को नाश करने वाले हैं,वह अंतर्यामी है,सबको बंधन से मुक्त करने वाले हैं। तो आपको उनको बांधने के पाप से कैसे मुक्ति मिलेगी? अतः इनको जल्दी से खोल दीजिए। यह सुनते ही साहिब राय डर के मारे कांप उठा और सतगुरु जी के पांव से काठ खोल दिया और उनके चरणों में अपने मस्तक को रखकर अपने अपराध की माफी मांगने लगा। सद्गुरु जी ने कहा कि "साहिब राय, हमने तेरा कसूर तो माफ कर दिया, परंतु थोड़े ही दिन के बाद तेरे दोनों हाथ अवश्य ही कट जाएंगे, क्योंकि इनके द्वारा तुमने बहुत अपराध किए हैं। तो यह अवश्य ही कट जाएंगे, आज से पांचवें दिन जब तू सोच क्रिया करके उठेगा, तो उसी समय दो आदमी घोड़ों पर चढ़कर आएंगे और तेरे हाथों को काटेंगे"। ऐसा कहकर सतगुरु जी छुड़ानी धाम को चले गए। समय निश्चित है, जब पांचवें दिन वह निश्चित समय आया जिस समय का सतगुरु बंदी छोड़ गरीबदास साहिब जी ने कुछ समय पूर्व ही वर्णन किया था जिस समय राम साहिब राय हाथ धोने के लिए तालाब पर जा रहा था, तो उसी समय दो आदमी घोड़ों पर चढ़कर आए और साहब राय के दोनों हाथ काट दिये और साहब राय के देखते-देखते दोनों लुप्त हो गए। यह घटना जो साहिब राय के साथ घटी वह बंदीछोड़ गरीब दास साहिब जी के साथ उनके किए हुए व्यवहार का नतीजा नहीं थी बल्कि साहिब राय के द्वारा भूतपूर्व में किए हुए अपराधों का दंड था जो उनसे मिलना था। जिसका वर्णन सतगुरु जी ने 5 दिन पूर्व ही कर दिया था। 

तब वह साहिब राय अपने संबंधियों को साथ लेकर श्री छुड़ानी धाम में पहुंचा और जाकर प्रार्थना कि "हे गुरुदेव, मैं तो अब किसी काम के लायक नहीं रहा, मुझे कोई उपाय बताओ। जिससे मेरा जीवन सुखमय में हो जाए। तब आप जी ने कहा कि "सब सुखों का मूल भगवान की शरण है, तू भगवान का नाम जाप कर और तेरी सेवा तेरी स्त्री करेगी। तब उसने प्रार्थना कि "गुरुदेव जी आप वहां मेरे ग्राम कानोंदा मे चलकर मुझे दर्शन दे। महाराज जी ने कहा कि "साहब राय, संतो के लिए चौबारा बना। तब उसने प्रार्थना की "हे सतगुरु जी, हमारे ग्राम में एक मुसलमान पीर है। वह अपने मकान से ऊंचा किसी का मकान नहीं बनने देता। यदि कोई बनावे तो अपनी शक्ति से तभी गिरा देता है"। तब बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी ने कहा कि "तुम चोबारा बनवाओ, हम देखेंगे कि वह पीर चौबारा कैसे गिराता है"। जब चोबारा बनने लगा तो सदगुरुदेव जी कानोन्दा पहुंच गए। जब चौबारा बनकर तैयार हो गया तो पीर ने उसको ढहाने के लिए अपनी शक्ति लगाई। जब किसी भी प्रकार से उसकी शक्ति नहीं चली तो वह पीर जान गया कि "बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी कोई साधारण इंसान नही है, कोई बहुत बड़ा योगी है। 

ऐसा जानकर उनके सामने आया और माफी मांगने लगा। तब बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी ने कहा कि "देखो कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे लोगों को दुख हो"। उसी क्षण उस पीर ने बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी के समक्ष प्रतिज्ञा ली कि वह किसी को किसी भी प्रकार का दुख नहीं देगा। भविष्य में महाराज जी की शक्ति को देखकर सभी लोगों ने अपने घरों पर चोबारा बना लिए। कानोंदा ग्राम के सत्संगी बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी के उपासक हैं जो निरंतर परमधाम श्री छुड़ानी धाम में पहुंचकर सद्गुरु जी के दरबार में तन मन धन से सेवा करते हैं। 

संत गरीबदास भवन कानोंदा मे सतगुरु जी का स्वरूप



कानोंदा ग्राम मेे सद्गुरु जी का एक प्राचीन आश्रम भी है जिसका हाल ही में समस्त ग्राम वासियों ने पुुनर्निर्माण करवाया है। सतगुरु जी की दिव्य अमृतवाणी का अखंड पाठ होता है व प्रतिदिन ग्रामवासी मिलकर शाम को संध्या आरती करते हैं। 



7 comments:

  1. Sat Sahib ji🙏🏻

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  2. Satguru bandi chord Garib Dass Ji Maharaj ki jai.

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  3. मैं सदगुरु गरीब दास जी महाराज को कोटि कोटि नमन करता हूँ

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  4. Sat sahib Ji 🙏 satgurudev bandi chod shri Garib das ji maharaj ji ki jai🙏

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