Sunday, June 16, 2024

कुबेर भण्डारी धन धन स्वामी विद्यानंद जी महाराज

 हमारी भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म में समय-समय पर परमात्मा की अद्भुत लीलाओं की पावनता से नित्य अवतार के रूप में संत महापुरुषों का इस धरा धाम पर प्रदार्पण होता रहा है। अनंता अनंत अखिल ब्रह्मांड नायक ज्योत सत्यपुरुष सदगुरु कबीर साहिब जी के पूर्ण अवतार बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी का अवतार परम् धाम श्री छुड़ानी धाम में हुआ और यही से हमारी गरीबदासीय संप्रदाय की शुरुआत हुई।

गरीबदासीय संप्रदाय में अनेकों ही संत महापुरुष हुए, जिन्होंने सतगुरु बंदीछोड़ गरीब दास साहेब जी की वाणी से लोगों को जोड़कर इस भवसागर रुपी संसार से पार उतारा। त्यागमूर्ति तपोनिष्ठ सद्गुरु ब्रह्मसागर जी महाराज भूरी वाले का अवतरण अद्वितीय है। सतगुरु ब्रह्मसागर जी महाराज भूरी वालों के निर्वाण स्थान श्री जलूर धाम की संत परंपरा में दूसरे पिठाधिश्वर हुए त्यागमूर्ति स्वामी श्री जगदीश्वरानंद जी महाराज। स्वामी जी के उपरांत श्री स्वरूपानंद जी महाराज जलूर धाम की संत परंपरा में तीसरे गादीपति महंत हुए। 

स्वामी श्री जगदीश्वरानंद जी व स्वामी स्वरूपानंद जी 

पूजनीय स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज के उपरांत, स्वामी जी के प्रिय शिष्य हमारी गरीबदासीय सम्प्रदाय के संत रत्न धन धन कुबेर भंडारी स्वामी विद्यानंद जी महाराज जलूर धाम की संत परंपरा में चतुर्थ गादीपति महंत हुए। 15 मार्च 1938 के पावन दिन पाकिस्तान के गांव पतोवाल में पिताजी श्री भगत सिंह जी के घर माताजी श्रीमती बलबीर कौर की सुभागी कोख से हुआ। स्वामी जी लगभग 9 वर्ष के थे, तब देश बंटवारे के समय सारा परिवार पंजाब प्रांत के कपूरथला जिले के गांव दोलोवाल में आकर बस गया। 


पूज्यनीय पिता जी भगत सिंह जी व पुरे परिवार पर संत महापुरषो की असीम अनुकम्पा थी। स्वामी जी सात भाई व पांच बहनों में पांचवें नंबर के थे। स्वामी जी के पिताजी गुरदासपुर जिले के गांव बल्लड़वाल में हेड ग्रंथी थे। गुरदासपुर जिले के हरगोविंदपुर में कक्षा दसवीं तक की परीक्षा प्राप्त की। बचपन से ही स्वामी जी, श्री स्वामी स्वरूपानंद महाराज जी के पास आकर सेवा करते थे। स्वरूपानंद महाराज जी ने आपके दसवीं पास होने के पश्चात कुछ शास्त्रीय विद्या का अध्ययन करवाया। शास्त्रीय विद्या पूरी होने पर स्वामी जी श्री जलूर धाम आ गए, जिसके उपरांत आपने श्री स्वामी स्वरूपानंद महाराज जी से नाम दान लिया व उनकी आज्ञा से जलूर धाम की सेवा में लग गए। 

आप जहां भी पधारते थे वहीं लंगर लग जाया करते थे, उनकी इसी उदारता से भूरीवाले भेष भगवान ने आपको कुबेर भंडारी की उपाधि से भी विभुषित किया। सामाजिक कार्यों में पूज्य स्वामी श्री विद्यानंद जी महाराज की विशेष रूचि थी। इसी रुचि के अनुसार स्वामी सदगुरु श्री ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों के नाम के स्कूल की स्थापना की तथा होम्योपैथिक डिस्पेंसरी की भी देन आपकी ही है। 

अपने अथक प्रयासों से जलूर धाम कुटिया साहिब का बहुत उत्थान किया। श्री जलूर धाम की कुटिया साहिब में जो पूर्व में गंगा जी थी उसका पुननिर्माण कर सद्गुरु ब्रह्मसागर भूरीवालों का चरणामृत 68 तीर्थो का पवित्र जल, 12 ज्योतिर्लिंग, आठ धामों व मानसरोवर का जल लाकर गंगा को अति पवित्र किया। साथ ही साथ सद्गुरु भूरीवालों की तपोस्थली जैसे बरनाला, भट्टियाँ, पत्ती, मोगा,ददहूर, धूरी, तलवंडी भाई, हरिद्वार आदि का विस्तार कर सुंदर स्वरूप प्रदान किया। 



आपजी के प्रयासों से बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी की वाणी का दो बार प्रशासन करवा कर संगत में बाँटकर वाणी का प्रचार किया तथा 2004 में जलूर साहिब कुटिया में अखंड पाठ की लड़ी की शुरुआत की जो आज भी निरंतर चल रही है। श्री छुड़ानी धाम में बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी के स्वरूप पर आपने चांदी की बेदी अर्पित करवाई। सद्गुरुदेव बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी का 300 साला अवतार महोत्सव आपने पुरे 1 साल तक संगत के साथ मिलकर धूम धाम से मनाया। जिसके सद्गुरु जी की दिव्य अमृतमयी वाणी के श्री अखंड पाठों का आयोजन हुआ, जिसमे अनेको की शोभा यात्राएँ निकाली गई और अनेकों ही भंडारों का आयोजन हुआ।  

मानवता के लिए अदभुत कार्य करते हुए असंख्य भटके हुए जीवो को सत के मार्ग पर चलाते हुए 25 सितंबर 2018 मंगलवार भादो की पूर्णमासी को सांय 5:00 बजे जलूर धाम में सतलोकवास जो गये| अंतिम समय में स्वामी जी कुछ दिन हॉस्पिटल में भी रहे| परन्तु वही तेज-पुंज ज्योर्तिमान था। मुखमण्डल आभा, सौम्यता एवं कांति से पूर्ण था | 18 सितंबर को अस्पताल से छुट्टी लेकर जलूर धाम की कुटिया में वापस आ गए| 19 तारीख को सुबह स्वामी जी ने कुछ नहीं खाया, स्वामी राम जी के आग्रह पर स्वामी जी ने एक घूट चाय पी| स्वामी विद्यानंद जी महाराज स्वामी राम जी को प्यार से बच्चू क कर बुलाते थे, स्वामी विद्यानंद जी महाराज ने तब स्वामी राम जी को कहा कि "बच्चू, हमने कुछ समय मांग कर सतगुरु जी से लिया है, क्योंकि आज दसवीं का दिन है और सतगुरु जी की याद में संगत यह दिन धूम धाम से मना रही है उनकी खुशियों मे कोई विघ्न ना पड़ जाये| इसलिए सद्गुरु जी से कुछ समय हमने और मांगा है|" अगले दिन जब स्वामी राम जी पूज्य स्वामी विद्यानंद जी महाराज जी को स्नान करा रहे थे तब महाराज जी ने कहा कि "आज एकादशी हो गई है और मेरे चार दिन रह गए हैं"| रोज एक-एक दिन घटाते रहे स्वामी राम जी को बता बता कर | 

पूर्णमासी को प्रातः 6:30 बजे जब स्वामी राम जी महाराज जी को स्नान करा रहे थे| तब महाराज जी ने कहा कि "बच्चू आज हम चले जाएंगे| आज तूने हमारा आखरी स्नान कर दिया है|  5:00 बजे हमारा समय है और हम आज चले जाएंगे| पर किसी संगत को मत कहना कि आज हम 5:00 चले जायेंगे | पूर्णमासी को स्वामी अमृतानंद जी धुरी वाली कुटिया में भोग लगाने गए हुए थे तब स्वामी विद्यानंद जी महाराज ने प्रात 8:00 स्वामी राम जी को कहा कि "बच्चू, अमृतानंद जी को बुलाओ आज हमारा आखिरी दिन है जल्दी पहुंचें"| 10 से 12:30 बजे स्वामी विद्यानंद जी महाराज ने सभी को मना कर दिया कि हमारे कक्ष में कोई नहीं आएगा हम ढाई घंटे एकांत में रहेंगे| उसके उपरांत स्वामी विद्यानंद जी महाराज जी ने स्वामी राम जी और स्वामी अमृतानंद जी को अंदर बुलाया और कहा कि "बच्चू, हमें एक टीका लगना है उसको जल्दी से लगवा दो कहीं वो हमारे समय के बीच में न आ जाये क्युकी 5 बजे का हमारा समय नजदीक हैं"|  


4 बजे टिका पूरा हुआ फिर स्वामी जी ने 15-15 मिनट स्वामी अमृतानंद व स्वामी राम जी से बात की| ठीक 5 बजे पूजनीय स्वामी विद्यानंद जी महाराज अपने आसान पर विराजमान होकर सद्गुरु जी के धाम कोई चले गए | स्वामी विद्यानंद जी महाराज ने अपना समय पहले ही बता दिया था और समय तो दसवीं का ही निश्चित हो गया था, पर संगत को देखते हुए पूज्य स्वामी विद्यानंद जी महाराज ने सतगुरु जी से कुछ दिन का और समय मांग लिया था|



श्री जलूर धाम की वर्तमान में सेवा वर्तमान पीठाधीश्वर स्वामी अमृतानंद जी महाराज कर रहे हैं, स्वामी अमृतानंद जी महाराज का जन्म हरियाणा प्रांत के झज्जर जिले के सरताज श्री छुड़ानी धाम में सतगुरुदेव बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी की वंश परंपरा में पिताश्री विशाल सिंह जी के घर माता श्रीमती फूला देवी जी की सुभानी कोख से हुआ। वर्तमान समय में अपने पूज्य गुरुदेव की आज्ञा को ही साधन मानते हुए जलूर धाम की सेवा अनवरत रूप से कर रहे हैं। जलूर धाम का वर्तमान स्वरूप आप जी की सेवा का ही फल है। अत्यंत विनम्र स्वभाव से आप सबके हृदय में विराजित रहते हैं। आपकी सादगी विनम्रता और गुरु के प्रति निष्ठा सभी के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। पूजनीय स्वामी विद्यानंद जी महाराज जी की इच्छानुसार धर्म नगरी हरिद्वार में स्वामी अमृतानंद जी महाराज ने दिव्य और अति भव्य आश्रम का निर्माण करवाया है।  


श्री जगदीश स्वरूप आश्रम हरिद्वार


श्री जलूर धाम के उत्तराधिकारी स्वामी अमृतानंद जी महाराज के सुयोग्य शिष्य स्वामी श्री अनंत आनंद जी महाराज श्री जलूर धाम वाले हैं आप अत्यंत सरल व्यक्तित्व के धनी है|  आपकी सरलता के कारण सभी भक्तजन व संत जन आपसे अत्यंत प्रेम करते हैं, आप पर कुबेर भंडारी स्वामी विद्यानंद जी महाराज व आपके गुरुदेव श्री स्वामी अमृतानंद जी महाराज की विशेष कृपा है|  आप बहुत ही सुंदर स्वर में भजन गाकर सत्संग को रसपान करवाते है।



पूज्य कुबेर भण्डारी स्वामी विद्यानंद जी महाराज का मेरे 
 पिताजी पाठी पंडित प्रेम सिंह जी से बहुत लगाव था (जिनकी स्मृति में यह पाठी पंडित प्रेम सिंह गरीबदासीय ई-ग्रंथालय चल रहा है)|  स्वामी जी पंडित जी को बहुत ज्यादा प्रेम और सम्मान देते थे। जब स्वामी विद्यानंद जी महाराज जी श्री छुड़ानी धाम में सेवा कर रहे थे तब सभी को यही कहते थे कि "भाई पंडित जी को बुलाओ, सद्गुरु जी की वाणी में राग होरी, झूमकरा का पाठ पंडित जी करेंगे" और कहते थे कि "पंडित जी, आप सद्गुरु जी कि वाणी का पाठ करते रहो और मैं बैठा बैठा सुनता रहुँ, बहुत आनंद आता हैं"। 






-: सत साहिब जय बन्दीछोड़ :--: सत साहिब जय बन्दीछोड़ :-

3 comments:

  1. Satsahib ji 🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  2. जय गुरुदेव 🙏🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete