Friday, March 14, 2025

महिमा परम धाम (श्री छुड़ानी धाम) की

                                             श्री छुड़ानी धाम प्राचीन काल से ही बड़ा पवित्र स्थल रहा है। यहाँ सत्यपुरुष सद्गुरु कबीर साहिब जी ने बंदीछोड़ गरीब दास साहिब जी के रूप में जन कल्याण के लिए अवतार लिया। बंदीछोड़ गरीब दास साहिब जी ने जीवों के कल्याण के लिए पावन-पवित्र कल्याणकारी अमृतमई वाणी की। बंदीछोड़ गरीब दास साहिब जी ने ६१ वर्ष तक यहाँ रह कर जीवों का कल्याण किया और इसके बाद वि.सं.१८३५ भाद्रपद शुक्ल द्वितीय को आपने अपना तेजपुंज का शरीर त्याग कर यह लोक छोड़ कर अपने निज लोक सतलोक को वापिस चले गए |

गुरु ज्ञान अमान अडोल अबोल है,सतगुरु शब्द सेरी पिछानी।
दासगरीब कबीर सतगुरु मिले,आन अस्थान रोप्या छुड़ानी।।


        सद्गुरु जी के अवतार से पूर्व बात उस समय कि हैं जब राजा विराट की नगरी अलवर के पास थी राजा विराट का सेनापति कीचक बहुत ही बलवान था, उसमे कई हजार हाथियों का बल था राजा विराट को अपने सेनापति के बाहुबल पर पूरा भरोसा था और कोई राजा इनसे युद्ध करने की नहीं सोचता था | दुर्योधन ने एक बार हस्तिनापुर में बहुत बड़ा यग कराया था जिसमे दूर-२ से राजा शामिल हुए पर राजा विराट उसमे शामिल नहीं हुआ क्युकि वह दुर्योधन को अन्यायी मानता था | तो दुर्योधन उससे नफरत करने लगा था | जब पांड्वो का १२ वर्ष का वनवास पूरा हुआ तो पांडव १ वर्ष का अज्ञात वास काटने के लिए राजा विराट के महलोँ में वेश बदल कर रह रहे थे 
(श्री छतरी साहिब मंदिर छुड़ानी धाम का प्राचीन स्वरूप)
      
      तब कीचक की बुद्धि द्रोपदी की सुन्दरता पर चलायमान हो गयी | द्रोपदी ने उससे कहा भी कि मेरे ५ पति हमेशा मेरी रक्षा के लिए गुप्त रूप में मेरे साथ रहते हैं | कीचक ने बात न मानी तब भीम ने कीचक का वध कर दिया था | जब दुर्योधन को पता चला की राजा विराट का सेनापति मारा गया हैं तब दुर्योधन ने विराट की नगरी पर आक्रमण कर दिया था और उस समय जिस राजा के पास जितना ज्यादा गोधन होता था, वह उतना ही धनवान मन जाता था और राजा विराट के पास तो ६०००० गायें थी | उस समय पांड्वो का १ वर्ष का अज्ञात वास भी पूरा हो गया था |
           राजा विराट का युवराज उतम कुमार अपनी सेनापति का युवराज बन गया था | युद्ध के समय उतम कुमार का सारथी अर्जुन था, जो कि अभी भी गुप्त वेश में था दुर्योधन ने राजा विराट की ६०००० गायें छीन ली जब उतम कुमार कोरवों से युद्ध में पिछड रहा था। तब अर्जुन ने एक पीपल की खाड में रखा हुआ गांडीव धनुष निकल कर कोरवो को हरा दिया और राजा विराट की ६०००० गायें छड़ाई | वो गायें जंहाँ से छुड़ाई गईं थी उस जगह का नाम छुड़ानी पड़ गया और आगे जाकर सद्गुरु बंदीछोड़ गरीब दास साहिब जी के अवतार के उपरांत वह पूर्ण रूप से परम धाम श्री छुड़ानी धाम हो गया |



गरीबदासीय सम्प्रदाय के संत व यमुनानगर (हरियाणा), गरीबदासीय आश्रम के संस्थापक पूज्य स्वामी दासानन्द की प्रस्तुति:

लिख रहा हूँ महिमा सतगुरु धाम की  | झज्जर जिले के सरताज छुड़ानी गाँव की ||
निगुण कला कबीर छुड़ानी आईयां | हंसन के हितकर सो गरीब कहाइयां ||
जो जन दर्शन पाये छुड़ानी गाँव के | दासानन्द अल मस्त गस्त निज धाम के ||
महिमा अपरम्पार सतगुरु नाम की | जाने जानन हार छुड़ानी धाम की ||
सतगुरु दया करो दरहाल छुड़ानी आईयां | दासानन्द अल मस्त जू बंध छुटाइयाँ ||
मुक्ता हल की पैठ लगी है गाँव में | अरे हाँ कहता दासानन्द छुड़ानी धाम में ||
सतगुरु के जो हंस छुड़ानी आयेंगें  | चार मुक्ति बैकुण्ठ परम पद पायेंगे ||
मुक्त होवे हंस पाकर दर्शन उस धाम के | अरे हाँ कहता दासानन्द निन्दक किस काम के ||
लीला अपरम्पार सुनी ईष्ट के धाम की | निन्दत कूं नही प्रीत छुड़ानी धाम की ||
दासानन्द अलमस्त हुए गुरु नाम के | सतगुरु गंगानन्द की दया हम पहुंचे धाम में ||  

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