सत्यपुरुष सद्गुरु बंदीछोड़ गरीब दास साहेब जी की वाणी हमें जीवन के गहरे रहस्यों को समझने और आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होने का मार्ग दिखाती है। सद्गुरु जी की वाणी की यह साखी आध्यात्मिक सत्य को उजागर करता है:
इस साखी में 'एक तत्व' से अभिप्राय आत्म तत्व से है। यह हमारी चेतना का मूल स्रोत है, वह अविनाशी अंश जो हमें जीवन प्रदान करता है। इसे आत्मा, रूह, या स्वयं का सार भी कह सकते हैं। यह परम सत्ता, यानी परमात्मा का ही एक सूक्ष्म हिस्सा है।
नौ तत्व: सूक्ष्म शरीर (लिंग शरीर)
आत्म तत्व से ही नौ तत्वों का उद्भव होता है, जिन्हें सूक्ष्म शरीर या लिंग शरीर के नाम से जाना जाता है। ये वो मानसिक और संवेदी उपकरण हैं जिनके माध्यम से आत्मा इस संसार का अनुभव करती है। ये नौ तत्व निम्नलिखित हैं:
मन: विचार करने, संकल्प-विकल्प करने की शक्ति।
बुद्धि: निर्णय लेने और विवेक का उपयोग करने की क्षमता।
चित्त: स्मरण और ध्यान का आधार।
अहंकार: 'मैं' होने का बोध, व्यक्तिगत पहचान।
शब्द: ध्वनि का अनुभव करने वाली इंद्रिय शक्ति।
स्पर्श: स्पर्श का अनुभव करने वाली इंद्रिय शक्ति।
रूप: दृश्य का अनुभव करने वाली इंद्रिय शक्ति।
रस: स्वाद का अनुभव करने वाली इंद्रिय शक्ति।
गंध: गंध का अनुभव करने वाली इंद्रिय शक्ति।
यह सूक्ष्म शरीर ही है जो मृत्यु के बाद आत्मा के साथ यात्रा करता है, हमारे कर्मों के संस्कारों को अपने साथ लिए हुए, ताकि अगले जन्म में अनुभव कर सके।
चौबीस तत्व: स्थूल शरीर + सूक्ष्म शरीर
जब यह नौ तत्वों वाला सूक्ष्म शरीर, १५ तत्वों के स्थूल शरीर को धारण करता है, तब कुल मिलकर चौबीस तत्व बनते हैं। यह हमारा भौतिक शरीर है जिसे हम देख और छू सकते हैं।
स्थूल शरीर के १५ तत्व इस प्रकार हैं:
पंच महाभूत (५ तत्व):
अग्नि: शरीर की ऊर्जा और ऊष्मा।
वायु: श्वास और गति।
जल: शरीर में तरल पदार्थ।
पृथ्वी: शरीर का ठोस ढाँचा।
आकाश: शरीर में खाली स्थान।
दश इंद्रियां (१० इंद्रियां):
ज्ञानेंद्रियां (५): आँखें, कान, नाक, जीभ, त्वचा (ज्ञान प्राप्त करने वाली इंद्रियां)।
कर्मेन्द्रियां (५): वाणी, हाथ, पैर, गुदा, उपस्थ (कर्म करने वाली इंद्रियां)।
इस प्रकार, नौ (सूक्ष्म शरीर) और पंद्रह (स्थूल शरीर) मिलकर चौबीस तत्वों का यह शरीर बनता है जिसके माध्यम से हम इस संसार में जीवन जीते हैं।
परम तत्व: ब्रह्म या परमात्मा
साखी की अंतिम पंक्ति "चौबीसो का एक है, सुमर शोध जगदीश" बताती है कि इन सभी चौबीस तत्वों का भी एक परम आधार है, जिसे ब्रह्म या परमात्मा कहते हैं। यही परम सत्ता संपूर्ण सृष्टि का मूल कारण और अंतिम गंतव्य है।
मोक्ष की अलौकिक यात्रा
सद्गुरु गरीब दास साहेब जी के अनुसार, मोक्ष की प्रक्रिया अत्यंत सुंदर और वैज्ञानिक है:
मृत्यु के समय, सूक्ष्म शरीर के नौ तत्व उसी आत्मा में विलीन हो जाते हैं जिससे वे उत्पन्न हुए थे।
स्थूल शरीर के पाँच महाभूत अपने मूल तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) में समा जाते हैं।
और अंत में, आत्मा स्वयं परमात्मा में समा जाती है, क्योंकि वह उसी का अंश है।
यही स्थिति मोक्ष कहलाती है – आवागमन के चक्र से मुक्ति, जन्म और मृत्यु के बंधन से परे, परम शांति और परम आनंद की अवस्था।
जब कोई व्यक्ति देह त्यागता है, तो आत्मा, सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर (जो अगले जन्म का कारण बनता है) तीनों एक साथ निकलते हैं। सूक्ष्म शरीर आत्मा के साथ मिलकर एक नया शरीर धारण करने का माध्यम बनता है, जब तक कि आत्मा को मोक्ष प्राप्त न हो जाए।
सद्गुरु जी के प्रेमी हँस, यदि किसी प्रकार का कोई संसोधन इस लेख मे करवाना चहाता हो, किसी प्रकार की कोई त्रुटि लग रही हो तो कृपा उसे ठीक करवाने के लिए सम्पर्क करे।
इस लेख लिखने मे सहयोग करने हेतु मेरे अग्रज पंडित राकेश जी छुड़ानी धाम वालों का हार्दिक आभार।
Sat Sahib ji
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