Friday, December 2, 2016

सतगुरु ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों का निर्वाण दिवस-श्री जलूर धाम का मेला


सतगुरु जी के प्यारे भक्तों को सूचित किया जाता है कि हमारी गरीबदासीय सम्प्रदाय की धुरी के रूप में सुविख्यात तपोनिष्ठ, त्यागमूर्ति संत धन-धन स्वामी सतगुरु ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों का ६९ वाँ निर्वाण दिवस आगामी 7-8-9 दिसम्बर 2016 को सतगुरु जी के निर्वाण स्थल श्री जलूर धाम, संगरूर पंजाब में मनाया जायेगा। अत: आप सभी से विनती है कि सतगुरु जी के दरबार श्री जलूर धाम में पहुँच कर अपनी हाजरी लगाये और पुण्य के भागी बने। यह महाआयोजन संत-समागम हमारी गरीबदासीय सम्प्रदाय में कुबेर भण्डारी के नाम से विभूषित म० म० पूजनीय स्वामी विद्यानन्द जी महाराज के सानिध्य में धूम-धाम से सम्पूर्ण होगा।
सम्पर्क सूत्र 01679-283225




स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवाले शरीर का परित्याग करने के लिए श्री जलूर धाम पहुंच गये। महाराज जी वृद्ध अवस्था में थे। उन दिनो महाराज जी की सेवा के लिए कुछ भाग्यशाली भक्त उनकें पास रहते थे जिनको महाराज जी की सेवा करने का सोभाग्य प्राप्त हुआ। जिस कुटिया में महाराज जी ठहरे हुए थे उसमे उनकी सेवा करने के लिए भक्त सरवन दास जी भी रात्त को उनके पास ही सोता था ताकि महाराज जी को कभी किसी चीज की जरुरत हो तो उन्हें आवाज न लगानी पडे।


एक दिन रात के दो बजे महाराज जी समाधि लगाकर बैठे हुए थे। उन दिनों में महाराज जी को कुछ खांसी बलगम आ रही थी। अचानक महाराज जी का श्वास रुक-रुक कर आने लगा। यह देख कर भक्त सरवन दास जी घबरा गए। स्वामी संतराम जी बाहर स्नान करने गये थे । भक्त सरवन दास जी भागकर स्वामी संतराम जी को बुलाकर लाये। स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों ने स्वामी संतराम जी को समाधि से सुरति उतारने की विधि बताई हुई थी। स्वामी संतराम जी ने उसी प्रकार महाराज जी की छाती पर हाथ रखकर उनकी सुरति उतार दी । श्वास की गति ठीक चलने लग गई। गाँव से थोडा गऊ का ताजा दूध लाकर महाराज जी को गर्म करके पिलाया गया जिससे महाराज जी की तबियत ठीक हो गई। शरीर के परित्याग से एक दिन पहले महाराज जी ने संतराम जी को किसी कार्य हेतु हमारी गरीबदासीय सम्प्रदाय के परम धाम सर्वोच्य गरीबदासीय पीठ छतरी साहिब मंदिर श्री छुडानी धाम में भेज दिया। जहाँ-जहाँ महाराज जी के चरण पडे वही जगह पवित्र हो गई। 



वह तीर्थ बन गये, धाम बन गये। परन्तु स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों के लिए एक ही धाम था जिससे बढकर वो किसी को भी नही मानते थे। महाराज जी का यही कहना था कि "हमारा एक ही धाम है, एक ही तीर्थ है, एक ही गुरुद्वारा है, वह है श्री छत्तरी साहिब छुड़ानी धाम। महाराज जी वंही की सेवा पूजा को कहते और संगत से करवाते थे। महाराज जी की तबियत ढीली थी। स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालें सिद्ध आसन लगाकर सुबह चार बजे ब्रह्ममुहर्त में शरीर का परित्याग किया उस समय भक्त सरवन दास, स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों के पास थे। स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों ने इस देह के परित्याग का समय निश्चित कर लिया था। जब स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों ने श्री जलूर साहिब में अपनी देह का परित्याग किया ठीक उसी समय स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों के दर्शन भक्तों को हमारे परम धाम श्री छतरी साहिब छुडानी धाम में हुए। परम धाम श्री छतरी साहिब छुडानी धाम की परिक्रमा में सो रहे सेवादारों को स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों के छतरी साहिब की परिक्रमा करते हुए दिखाई दिये। श्री जलूर धाम से स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों के आदेशानुसार पहुंचे स्वामी संतराम जी को स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों के दर्शन हुए। इस समय श्री जलूर धाम में स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों ने अपनी देह का परित्याग कर चुके थे और श्री छुडानी धाम में अपने निज लोक सतलोक जाने से पहले दिव्य स्वरूप में श्री छतरी साहिब की परिक्रमा करने आये थे। यह बात सभी को पता थी कि स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों की तबियत ठीक नही है और अब इस समय श्री छतरी साहिब की परिक्रमा करते हुए स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों को देखा तो भक्तो के मन में शंका हो गई कि सब कुछ ठीक नही है। सुबह होते हुए श्री जलूर धाम से खबर आ गई कि स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों ने शरीर का परित्याग कर दिया है। यह खबर सुनकर सभी का तन-मन सुन्न हो चुका था।जगह-जगह संगत स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों को याद करके रो रही थी।अब वह पूर्णमासी के चन्द्रमा जैसा सुंदर चेहरा देखने के लिए लोग तरस रहे थे।     
          
श्री जलूर धाम, स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों का निर्वाण स्थल होने से यह स्थान पुरे विश्व में पूजनीय है। आज वर्तमान में श्री जलूर धाम का बहुत विकास हो चूका है, स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों जी की याद में बड़े ही सुंदर मंदिर का निर्माण कराया जा चूका है। स्वामी जगदीश्वरा नन्द जी ने इस धाम की बहुत सेवा करवाई उनके बाद उनके परम शिष्य स्वामी स्वरूपानन्द जी ने इस धाम की बहुत सेवा करवाई, आज वर्तमान समय में स्वामी स्वरूपानन्द जी के परम शिष्य हमारी गरीबदासीय सम्प्रदाय में कुबेर भण्डारी के नाम से विभूषित म० म० पूजनीय स्वामी विद्यानन्द जी श्री जलूर धाम की सेवा करवा रहे है। स्वामी विद्यानन्द जी एक कर्मठ सेवादार की तरह बन्दीछोड़ गरीबदास साहिब जी की वाणी, स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों के दिव्य संदेश व श्री जलूर धाम के प्रचार कार्यो में प्रयासरत रहते है।    

श्री जलूर धाम स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों का निर्वाण स्थान एक विराट शक्ति पीठ है। जहाँ प्रत्येक वर्ष स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों की बरसी मार्गशीर्ष शु० दशमी को बड़ी ही धूम-धाम से मनाई जाती है।

जैसी हमे जानकारी थी उसके अनुसार हमने यह ब्लॉग लिखने का प्रयास किया है कोई गलती हो तो माफ़ी चहाता हूँ आगे चलकर जब सतगुरु जी का आदेश हुआ तो एक और ब्लॉग, श्री जलूर धाम के बारे में लिखने का प्रयास करेंगे। जिसमे विस्तार से स्वामी ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों के इस धाम में सेवा करने वाले गरीबदासीय सम्प्रदाय के संत महात्माओं के बारे में लिखने का प्रयास रहेगा।
 
सतगुरु जी के प्यारे भक्तों को सूचित किया जाता है कि हमारी गरीबदासीय सम्प्रदाय की धुरी के रूप में सुविख्यात तपोनिष्ठ, त्यागमूर्ति संत धन-धन स्वामी सतगुरु ब्रह्मसागर जी महाराज भूरीवालों का ६९ वाँ निर्वाण दिवस आगामी 7-8-9 दिसम्बर 2016 को सतगुरु जी के निर्वाण स्थल श्री जलूर धाम, संगरूर पंजाब में मनाया जायेगा। अत: आप सभी से विनती है कि सतगुरु जी के दरबार श्री जलूर धाम में पहुँच कर अपनी हाजरी लगाये और पुण्य के भागी बने। यह महाआयोजन संत-समागम हमारी गरीबदासीय सम्प्रदाय में कुबेर भण्डारी के नाम से विभूषित म० म० पूजनीय स्वामी विद्यानन्द जी महाराज के सानिध्य में धूम-धाम से सम्पूर्ण होगा।

आज के ब्लॉग के साथ निम्न संत-महापुरुषों के प्रवचन :-





       



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