देवभूमि उत्तराखंड के पवित्र शहर ऋषिकेश में, पुण्यदायिनी माँ गंगा के निर्मल तट पर स्थित है अवधूत बाड़ा गरीबदासीय आश्रम, जो गरीबदासीय सम्प्रदाय की एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक धरोहर है। पुरानी शीशम झाड़ी, मुनि की रेती, ऋषिकेश में स्थित यह आश्रम, कई दशकों से सद्गुरु बंदीछोड़ गरीब दास साहिब जी की वाणी प्रचार प्रसार, आध्यात्मिक शांति और साधना का केंद्र रहा है।
यह आश्रम सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि संतों की एक अटूट परंपरा का प्रतीक है जिन्होंने अपना जीवन दिव्य वाणी प्रचार प्रसार व परमात्मा की सेवा और मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। इस पवित्र भूमि ने कई महान अवधूतों को देखा है जिन्होंने समय-समय पर इसकी बागडोर संभाली और इसकी आध्यात्मिक आभा को बनाए रखा।
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| सद्गुरु बंदीछोड़ गरीब दास साहिब जी की वाणी के दिव्य दरबार साहिब के दर्शन |
प्रतिदिन आश्रम में सद्गुरु बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी की दिव्य अमृतमयी वाणी का पाठ, संध्या आरती, सत्संग होता है। संतो भक्तों का आगमन सालभर लगा रहता है। यहाँ सद्गुरु जी की रज़ा से अन्नपूर्णा का भंडार सदैव भरपूर रहता है और अन्नक्षेत्र अविरल चलता रहता है।
जैसा कि बंदीछोड़ सतगुरु गरीब दास जी महाराज ने अपनी अमृतवाणी में फरमाया है:
"दास गरीब कहै दर्वेशा, रोटी बांटो सदा हमेशा "
आइए, उन संतों का वर्णन करते है जिन्होंने इस आश्रम के संचालन में अपना अमूल्य योगदान दिया:
अवधूत स्वामी महानन्द सुखानन्द जी (1890 से 1912 तक): आश्रम की नींव रखने और प्रारंभिक वर्षों में इसका मार्गदर्शन करने का श्रेय स्वामी महानन्द सुखानन्द जी को जाता है। सद्गुरु बंदीछोड़ गरीबदास साहिब जी की रजा से उन्होंने आश्रम को एक साधना स्थली के रूप में स्थापित किया क्युकी सद्गुरु जी की रजा के बिना वृक्ष का एक पत्ता तक नहीं हिलता।
अवधूत स्वामी नारायण दास जी (1912 से 1920 तक): स्वामी नारायण दास जी ने स्वामी महानन्द जी के बाद आश्रम की जिम्मेदारी संभाली और इसे और अधिक सुदृढ़ किया।
अवधूत स्वामी केशवानन्द जी (1920 से 1939 तक): लगभग दो दशकों तक स्वामी केशवानन्द जी ने आश्रम का कुशलतापूर्वक संचालन किया, और इस दौरान आश्रम ने अपनी आध्यात्मिक पहचान को और मजबूत किया।
अवधूत स्वामी ब्रह्मऋषि जी (1939 से 1949 तक): स्वामी ब्रह्मऋषि जी ने एक दशक तक आश्रम का नेतृत्व किया, और उनके मार्गदर्शन में आध्यात्मिक गतिविधियाँ फलती-फूलती रहीं।
अवधूत स्वामी हरिप्रकाश जी (1949 से 1986 तक): स्वामी हरिप्रकाश जी ने एक लंबी अवधि तक आश्रम की सेवा की। उनके कार्यकाल में आश्रम ने कई भक्तों और साधकों को आकर्षित किया।
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| अवधूत स्वामी हरिप्रकाश जी व अवधूत स्वामी रामदेव पाठी जी |
अवधूत स्वामी रामदेव पाठी जी (1986 से 2021 तक): स्वामी रामदेव पाठी जी ने लगभग 35 वर्षों तक आश्रम का नेतृत्व किया। उनके अथक प्रयासों से आश्रम की ख्याति दूर-दूर तक फैली और यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र बन गया। हमारी गरीबदासीय सम्प्रदाय में सद्गुरु जी के वाणी प्रचार प्रसार में स्वामी रामदेव पाठी जी का बहोत बड़ा योगदान रहा है।
अवधूत स्वामी महिमानन्द जी (2021 से वर्तमान तक): वर्तमान में अवधूत स्वामी महिमानन्द जी आश्रम के प्रमुख हैं, जो इस पवित्र परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उनके नेतृत्व में आश्रम आध्यात्मिक मूल्यों और सेवा कार्यों को जारी रखे हुए है।
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| अवधूत स्वामी रामदेव पाठी जी का स्वरूप व साथ में स्वामी जी के शिष्य व वर्तमान संचालक स्वामी महिमानन्द जी |
अवधूत बाड़ा गरीबदासीय आश्रम, गंगा के किनारे अपनी शांत और पवित्र आभा के साथ, आध्यात्मिक शांति और प्राचीन भारतीय ज्ञान की तलाश करने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य बना हुआ है। यह आश्रम न केवल गरीबदासीय सम्प्रदाय की समृद्ध विरासत का प्रतीक है, बल्कि संतों की निःस्वार्थ सेवा और त्याग का भी एक जीवंत उदाहरण है।
संतो भक्तों की सेवा और सुविधा के लिए आश्रम में सैकड़ों कमरों का निर्माण किया गया है, ताकि वे यहाँ सहजता से विश्राम कर सकें। आश्रम में सैकड़ों के संख्या में हरे भरे विशाल पेड़ है जो आश्रम की सुंदरता में और चार चाँद लगा रहे है







Jai Bandi Chod
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