Friday, November 2, 2018

श्री छुड़ानी धाम

गरीबदासीय भेख का सर्वोच्च धाम परम् धाम श्री छुड़ानी धाम प्राचीन काल से ही बड़ा पवित्र स्थल रहा है। यहाँ सत्पुरुष सतगुरु कबीर साहिब जी महाराज ने श्री श्री १००८ आचार्य गरीब दास जी महाराज के रूप में जन कल्याण के लिए अवतार लिया, जीवों के कल्याण के लिए पावन-पवित्र कल्याणकारी अमृतमई वाणी की रचना की | आचार्य गरीब दास साहिब जी ने ६१ वर्ष तक यहाँ रह कर जीवों का कल्याण किया और इसके बाद वि.सं.१८३५ भाद्रपद शुक्ल द्वितीय को आपने अपना तेजपुंज का शरीर त्याग कर यह लोक छोड़ कर अपने निज लोक सतलोक को वापिस चले गए। जिसके फलस्वरूप श्री छुड़ानी धाम विश्व पूज्नीय बन गया। 

बात उस समय की हैं जब राजा विराट की नगरी अलवर के पास थी। राजा विराट का सेनापति कीचक बहुत ही बलवान था। उसमे कई हजार हाथियों का बल थाI राजा विराट को अपने सेनापति के बाहुबल पर पूरा भरोसा था और कोई राजा इनसे युद्ध करने की नहीं सोचता थाI दुर्योधन ने एक बार हस्तिनापुर में बहुत बड़ा यग कराया था। जिसमे दूर-२ से राजा शामिल हुए पर राजा विराट उसमे शामिल नहीं हुआ क्युकि वह दुर्योधन को अन्यायी मानता थाI तो दुर्योधन उससे नफरत करने लगा थाI जब पांड्वो का १२ वर्ष का वनवास पूरा हुआ तो पांडव १ वर्ष का अज्ञात वास काटने के लिए राजा विराट के महलोँ में वेश बदल कर रह रहे थेI यह लेख आप पाठी पंडित प्रेम सिंह गरीबदासीय ई-ग्रंथालय के माध्यम से पढ़ रहे है। तब कीचक की बुधि द्रोपदी की सुन्दरता पर चलायमान हो गयीI द्रोपदी ने उससे कहा भी कि "मेरे ५ पति हमेशा मेरी रक्षा के लिए गुप्त रूप में मेरे साथ रहते हैं"। कीचक ने बात न मानी तब भीम ने कीचक का वध कर दिया था I जब दुर्योधन को पता चला की राजा विराट का सेनापति मारा गया हैं। तब दुर्योधन ने विराट की नगरी पर आक्रमण कर दिया था। और उस समय जिस राजा के पास जितना ज्यादा गोधन होता था वह उतना ही धनवान मन जाता था और राजा विराट के पास तो ६०००० गायें थी । उस समय पांड्वो का १ वर्ष का अज्ञात वास भी पूरा हो गया था और राजा विराट का युवराज उतम कुमार अपनी सेनापति का युवराज बन गया थाI युद्ध के समय उतम कुमार का सारथी अर्जुन था जो कि अभी भी गुप्त वेश में थाI दुर्योधन ने रजा विराट की ६०००० गायें छीन ली, जब उतम कुमार कोरवों से युद्ध में पिछड रहा था। तब अर्जुन ने एक पीपल की खाड में रखा हुआ गांडीव धनुष निकल कर कोरवो को हरा दिया और राजा विराट की ६०००० गायें छुड़ाईI वो गायें जंहाँ से छुड़ाई थी उस जगह का नाम छुड़ानी पड़ गया और आगे जाकर वह बन्दीछोड गरीबदास साहिब जी के प्राकट्य से पूर्ण रूप से विश्व पूज्नीय श्री छुड़ानी धाम हो गया I 

गरीबदासीय सम्प्रदाय के संत स्वामी दासानन्द की प्रस्तुति: 


लिख रहा हूँ महिमा सतगुरु धाम की | झज्जर जिले के सरताज छुड़ानी गाँव की || 

निगुण कला कबीर छुड़ानी आईयां | हंसन के हितकर सो गरीब कहाइयां || 

जो जन दर्शन पाये छुड़ानी गाँव के | दासानन्द अल मस्त गस्त निज धाम के || 

महिमा अपरम्पार सतगुरु नाम की | जाने जानन हार छुड़ानी धाम की || 

सतगुरु दया करो दरहाल छुड़ानी आईयां | दासानन्द अल मस्त जू बंध छुटाइयाँ || 

मुक्ता हल की पैठ लगी है गाँव में | अरे हाँ कहता दासानन्द छुड़ानी धाम में || 

सतगुरु के जो हंस छुड़ानी आयेंगें | चार मुक्ति बैकुण्ठ परम पद पायेंगे || 

मुक्त होवे हंस पाकर दर्शन उस धाम के|अरे हाँ कहता दासानन्द निन्दक किस काम के || 

लीला अपरम्पार सुनी ईष्ट के धाम की | निन्दत कूं नही प्रीत छुड़ानी धाम की ||

 दासानन्द अलमस्त हुए गुरु नाम के | सतगुरु गंगानन्द की दया हम पहुंचे धाम में ||

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