Saturday, January 6, 2018

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आप में से कई सतगुरु जी के प्रेमी भक्तजन कई बार पूछते थे कि आप कौन है कहाँ से है कौन इस website को operate कर रहे तो आज का यह ब्लॉग उसी सन्दर्भ में :-
मैं सुनील कौशिक, मेरे पिताजी पाठी पंडित प्रेम सिंह जी हमारी गरीबदासीय सम्प्रदाय के अनेको संत महात्माओ के प्रिय पाठी के रूप मे जाने जाते थे क्योंकि सतगुरु जी ने उनपर ऐसी मैहर बख्शी थी कि एक बार उनके मुख से कोई सतगुरु जी की वाणी का पाठ सुन लेता तो वह मंत्र मुग्ध हो जाता था। उन्होंने सतगुरु जी की वाणी का का खूब प्रचार किया, लोगो को वाणी से जोड़ा। छुड़ानी धाम में सन 1966 में जब सतगुरु जी की वाणी के पाठ के लिए बहुत कम पाठी थे ना के बराबर उस समय उन्होंने अपने हमउम्र के पढ़े लिखे नोजवानो साथियों की एक मंडली बनाई और उनको पाठ करना सिखाया। अब पूज्नीय पिता जी पाठी पंडित प्रेम सिंह जी सतगुरु जी के परम धाम को जा चुके है। उन्ही के दिखाए गए इस मार्ग पर उन्ही की दी हुई सीख पर आगे बढ़ने का प्रयत्न कर रहा हूँ। उनके वाणी प्रचार के उसी उदेश्य को आगे बढ़ाने के लिए यह पाठी पंडित प्रेम सिंह जी गरीबदासीय ई-ग्रंथालय बनाया गया है| 
"एक श्रद्धाजंलि है एक पिता को एक बेटे की ओर से" प्रयास है एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म का जहाँ भक्तों के लिए एक जगह ही ज्यादा से ज्यादा गरीबदासीय साहित्य उपलब्ध कराया जायेगा और सभी संत–माहात्मों के प्रवचन उपलब्ध कराये जायेंगे। अपनी पढ़ाई के साथ साथ जैसी सतगुरु जी की रजा होती है उसी के अनुसार इस कार्य को कर रहे है. हमारी गरीबदासीय सम्प्रदाय बहुत बड़ी है सर्व व्यापक है देश-विदेशों में हर जगह किसी एक व्यक्ति के लिए यह सम्भव नही की वो हर जगह हर समागम में पहुँच सके। कई भक्तजन है जो इस दिव्य काम मे मेरा तहदिल से साथ दे रहे है और कहूँगा कि अपने आप सम्भाल रहे है।


भाई मोहन चौहान जी पंजाब प्रांत के रोपड़ शहर से है करीब 2013 में मोहन जी के सम्पर्क में आया था। यही वह सतगुरु जी का हँस जिससे मिलकर यह अहसास हुआ कि यदि आज के युग मे सतगुरु जी की वाणी को सर्व व्यापक बनाने हेतु जन जन तक पहुंचाना है तो इंटरनेट का माध्यम सर्वोत्तम है। क्योंकि भाई मोहन तकरीबन सन 2000 से इस सेवा में लगे हुए है। सर्व प्रथम यह e-library बनाने का मन मे विचार आया था तो सबसे पहले मैंने इस बारे में मोहन जी से ही बात की थी जिसके फलस्वरूप आज यह सब कार्य हो रहा है । कभी भी किसी भी तरह की सहायता की आवश्यकता हो तो मोहन भाई हमेशा तैयार रहते है।

निखिल कौशिक बड़ा भाई है हमेशा कुछ नया करने की फिराख में रहता है समय समय पर समागमों के बारे में जानकारी एकत्रित करता है। और मुझे हमेशा प्रोत्साहित करता रहता है।

विकास धनखड़ यह भी सतगुरु जी का सौभाग्यशाली हँस है जिसको सतगुरु जी के अवतार स्थान में जन्म लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सतगुरु जी की वाणी का पाठी भी है और अपनी पढ़ाई के साथ साथ सतगुरु जी की वाणी प्रचार में बहुत बड़ा सहयोग देता है। ग्रंथालय की टीम में श्री छुड़ानी धाम के आस पास के समागमों की सेवा विकास भाई देखते है ।

अरविंद कौशल - सतगुरु जी का यह हँस सतगुरु भूरीवालों के निर्वाण स्थान श्री जलूर धाम से भाई कुलवंत जी का सुपुत्र है। भाई कुलवंत जी भी सतगुरु जी की वाणी का बहुत ही सुंदर पाठ करते है। और अरविंद अभी 10वीं कक्षा में है और अभी से ही इसकी रूची सतगुरु जी की वाणी में बहुत ज्यादा है जिसकी मैं व्याख्या नही कर सकता। ग्रंथालय की टीम में श्री जलूर धाम के आस पास के समागमों की सेवा अरविंद करता है ।

अंकित धनखड़ -  पाठी पंडित प्रेम सिंह जी ने जो नोजवानो युवकों को तैयार कर के एक मंडली बनाई थी उसमें से श्री रामचन्द्र जी के सुपौत्र है अंकित धनखड़ जी। पूरे परिवार की सतगुरु जी के चरण कमलों में अटूट श्रद्धा और विश्वास है। उसी के फल स्वरूप अंकित का भी सतगुरु जी की वाणी के प्रति बहुत लगाव है। ग्रंथालय की टीम में दिल्ली के आस पास के समागमों की सेवा अंकित करता है ।

कनव गर्ग गरीबदासीय पतिव्रता संत धन धन स्वामी रामदेवानंद जी महाराज के निर्वाण स्थान तलवंडीभाई जिला फिरोजपुर पंजाब से है। अभी कुछ समय पहले ही हमसे जुड़े है। इनके पूरे परिवार का सतगुरु जी की वाणी में अटूट विश्वास है। तलवंडी भाई के आस पास के समागमों की सेवा भाई कनव करते है।

अभी कुछ और सतगुरु जी के हँस इस कड़ी में जोड़ने है जैसे कि श्री रामपुर धाम से, रकबा धाम से, तलवंडी धाम से । यदि आप भी इस हमसे जुड़ना चहाते है तो आपका तहदिल से स्वागत है।

सतगुरु जी के चरण कमलों में अरदास करते है कि बन्दीछोड़ गरीबदास साहिब जी आप जी की वाणी प्रचार हेतु यह पाठी पंडित प्रेम सिंह गरीबदासीय ई-ग्रंथालय बनाया गया है इस पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखे और हमे आशीर्वाद दे कि आगे भी यह कार्य निर्विघ्न करते है।

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