Tuesday, December 26, 2017

श्री गरीबदास परमानन्द आश्रम @ हरिद्वार

गंगा जी की गोद में स्थापित धर्म नगरी विश्व विख्यात हरिद्वार में बीती 23-24-25 दिसम्बर को श्री गरीबदास परमानंद आश्रम, नई बस्ती रामगढ़ खड़खड़ी हरिद्वार में बंदीछोड़ गरीब दास साहिब जी 
कल्याणकारी अमृतमयी वाणी का श्री अखण्ड पाठ सतगुरु जी की असीम अनुकम्पा से सम्पन्न हुआ। इस सन्त समागम का आयोजन स्वामी दर्शनानंद जी उर्फ राधा देवी जी की प्रथम पुण्यतिथि के उपलक्ष्य पर किया गया था।

सन्त समागम स्वामी केशवानंद जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। 23 दिसम्बर को प्रातः 09 बजे महामण्डलेश्वर स्वामी श्याम सुंदर दास शास्त्री जी ने सतगुरु जी की वाणी का श्री अखण्ड पाठ प्रकाश किया

जिसके उपरांत सतगुरु जी की वाणी का 48 घण्टे निर्विघ्न महाजाप हुआ। इस दौरान सतगुरु सैकड़ों की संख्या में संत महापुरुष व सतगुरु जी की लाडली प्यारी संगत सतगुरु जी के दरबार मे अपनी हाजरी भरने पहुंची और धर्म लाभ उठाया।            
3 दिन अटूट भंडारे का आयोजन किया गया। 25 दिसम्बर को सतगुरु जी वाणी के श्री अखण्ड पाठ की पूर्णाहुति हुई और

आए हुए संत महापुरुषों ने ब्रह्मलीन स्वामी दर्शनानंद जी को उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर श्रधांजलि अर्पित की ।संतों का जीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित होता है। खड़खड़ी हरिद्वार स्थित श्री गरीबदास परमानन्द आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी दर्शनानंद महाराज की स्मृति में प्रथम पुण्यतिथि सभी 13 अखाडों के संतों महंतों ने उन्होंने अपनी ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें महान आत्मा बताया। श्रद्धांजलि समारोह की अध्यक्षता डॉ0 स्वामी श्यामसुन्दर शास्त्री ने की संचालन महंत श्री केशवानंद महाराज ने किया। इस अवसर पर श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए डॉ0 स्वामी श्यामसुन्दरदास महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी दर्शनानंद जी महाराज त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे उनके अचानक चले जाने से संत समाज को अपूर्णनीय क्षति हुई है। म0म0 स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि संतों का जीवन बहते गंगा जल के समान होता है और संत सदा लोक कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करते हैं। उन्होंने ब्रह्मलीन स्वामी दर्शनानंद महाराज को महान संत बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने जीवनकाल में हमेशा मनुष्य कल्याण मंे अपना पूरा जीवन समर्पित किया। उनके द्वारा आश्रम मंे कई सेवा के प्रकल्प चलाये गये है। स्वामी परमानंद जी महाराज ने कहा कि संत समाज ईश्वर भक्ति में लीन होकर मनुष्य कल्याण की कामना करता है। धार्मिक क्रियाकलापों को लगातार संचालित कर श्रद्धालु भक्तों को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। महंत केशवानंद महाराज एवं महंत देवानंद महाराज ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमें सच्चे मन से गुरू की सेवा करनी चाहिये गुरू की सेवा से अवश्य ही मनवांछित फल की प्राप्ति होती है क्योकि गुरू ही भगवान का दूसरा स्वरूप कहलाते हैं।



इस दौरान महामंडलेश्वर स्वामी श्याम सुंदर शास्त्री, सतगुरु भुरीवालों के निर्वाण स्थान श्री जलूर धाम से स्वामी अमृतानंद जी, कोठी स्वामी दयालु दास जी से स्वामी ब्रह्मस्वरूप जी,महंत शिवशंकर गिरि,  स्वामी हरिचेतनानंद, महंत दुर्गादास, महंत मोहनदास, महंत मोहनदास रामायणी, स्वामी रतन गिरि, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी ऋषिरामकृष्ण, महंत कमलदास, महंत प्रेमदास, स्वामी दिपिन चेतन, महंत राजेन्द्रानंद, स्वामी शिवानंद महाराज, स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए ब्रह्मलीन स्वामी दर्शनानंद महाराज को महान आत्मा बताया। 
            
स्वामी केशवानंद जी समेत अनेको ही सन्त महापुरुष व संगत उपस्थित रहे। अंत मे भंडारे के पश्चात उपस्थित संतों का पूजन किया गया।

स्वामी दर्शनानन्द जी 



सत् साहिब जय बन्दीछोड़



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